
लेख-किरणभाई डाभी
18/09/2020(kotdatimes)
वर्तमान समय में हमारे देश में कई तरह की समस्याएं देखने मिल रही है।जिसमें “बेरोजगारी “एक महत्वपूर्ण समस्या है। एक तरफ़ कोरोना वायरस का कहर भी बरत रहा है। जिससे समग्र छोटे-बड़े उद्योग-धंधा बंद स्थिति में पड़े है। दुसरी ओर देश के युवाओं के पास कोई व्यवसाय व काम भी नही है।
एक तरह से देखा जाए तो बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण देश की बढ़ रही जनसंख्या भी कहा जा सकता है । भारत जनसंख्या के मामले में पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर है। यह संभवत: आने वाले समय में पहले स्थान पर होगा। उस संभावना को नियंत्रित करना आवश्यक है। आज बेरोजगारी दर ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में बहुत अधिक मात्रा में है। आज शिक्षित युवक-युवतियां नौकरियों के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं,लेकिन सरकार द्वारा इसके लिए कोई भर्ती नहीं की जाती है। और अगर भर्तियां होती है, तो इससे घोटाले(भ्रष्टाचार)होते हैं। वह उन्हें छोटी से छोटी नौकरी भी देने को तैयार नहीं है।
एक सामान्य भर्ती में भी लाखों लोग फॉर्म भरने के लिए लंबी कतार में खड़े होते हैं। गाँव में बेटियों और बेटों को माता-पिताओं ने खेती का काम करके,मजदूरी काम व जैसे-तैसे करके शिक्षा प्राप्त करवाते है की कहीं मेरी बेटी-बेटे को बड़ी या छोटी कोई नौकरी मिल पाए। आज के समय में युवाओं नौकरी-काम और व्यवसाय की कमी के कारण गुमराह हो जाती हैं,और व्यसन-नशे की लत का शिकार हो जाते हैं और असहाय होकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। गांव में केवल कम मात्रा में ही लोग नौकरीयाँ करते हैं। उदाहरण के लिए,शिक्षक, होमगार्ड और शायद एक निजी नौकरी,जैसे कि एक दुकान में काम करना,एक निजी अस्पताल में,उन्हें जीवनयापन करने के लिए पर्याप्त भुगतान नहीं किया जाता है। उनकी स्थिति “ना ही घर में ना घाट में ।” जैसी परिस्तिथि रहती है।
और जिन्हें कम वेतन पर काम करना है उन्हें कोई काम नहीं मिलता। वर्तमान में बच्चे भी कोरोना के कारण घर पर हैं और गांव में लोगों की खराब आर्थिक स्थिति,अशिक्षित,प्रौद्योगिकी की कमी के कारण बच्चों को पढ़ने की उम्र में गाय और भैंसों को चराने जाते हैं,कोई चाय की लॉरी पर,कोई होटलों में और कोई कपास के खेतों में प्लॉट का काम करता है। इसलिए वह ज्ञान से वंचित रह जाते है।वास्तव में उसका जीवन धूलमय हो रहा है,किन्तु कोई ध्यान दौरने वाला नही है। वर्तमान में बढ़ती स्कूलों की फी के कारण,माता-पिता अपनी बेटियों को शिक्षित करने के लिए अनिच्छुक हैं। जो “एक बेटी शिक्षित बनेगी तो पुरा समाज शिक्षित बनेगा” तो ऐसे कठिन समय में सरकार को रोजगार के अवसर प्रदान करना आवश्यक है। वर्तमान में अधिकांश शिक्षित स्नातक बिना काम के बेरोजगारी में जी रहे हैं। यह बड़ा सवाल है। हमें सबसे छोटा काम भी दिया जाना चाहिए ताकि वह इन सभी वर्षों के अध्ययन को बर्बाद न करें। उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाने चाहिए। और जन जागरूकता कार्यक्रम भी किया जाना चाहिए। “बच्चा कल का भविष्य है” हर किसी के पास ऐसी सोच होनी चाहिए। तभी हम इस तरह का कोई हल निकाल पाएँगे।