
रिपोर्ट- धर्माराम ग्रासिया(Kotdatimes)
04/01/2021
आबुरोड़ (सिरोही),
कोरोना वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया को हर दृष्टिकोण से प्रभावित किया है। लेकिन सिरोही जिले के आबूरोड़ तहसील में ‘नो’ “नेटवर्क” वाले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के व्यस्क विद्यार्थियों के दबे पाव मंगेतर रस्मे की बातें गांव से अबतक निकलकर शहरी गलियारों तक पहुंच चुकी है। बात करें इन आदिवासी क्षेत्रों की तो कोरोना महामारी के कारण स्कूल व छात्रावास बंद होने पर प्रतिकूल इन क्षेत्र में प्रभाव पड़ रहा है।

आदिवासी इलाकों के उच्च माध्यमिक कक्षाओं से ऊपर के विद्यार्थियों पर परिवार की तरफ से शादी,मेहंदी व शहनाई बजाने का चढ़ रहा है बुखार। इन दिनों महामारी के चलतें स्कूल व छात्रावास बंद होने पर आदिवासी विद्यार्थीयों अलग-अलग बिखरी बसावट में रहने लगे है,इनका केवल एकमात्र लॉकडाउन का असर ही कहा जा सकता है। और स्कूल खोलने के इंतजार में कई महीने गुजर जाने से कई अभिभावकों ने यहां मंगेतर की रस्में शुरू कर दी है। इसके अलावा इन क्षेत्रों के अधिकांश गांवों में कनेक्टिविटी का अभाव होने से शिक्षा विभाग के इस्माइल कार्यक्रम का भी यहां मोबाइल से विद्यार्थियों को अध्ययन नहीं हो पाता,जिसके कारण शिक्षा की अहमियत से भटककर ही स्थानीय अभिभावकों ने मंगेतर रस्मों में मशगूल होने के चर्चे आम किए हैं।